भाग्य भले ही माटी में मिले, मगर तारों से बातें कर। भाग्य भले ही माटी में मिले, मगर तारों से बातें कर।
मैं वही सिन्धु नदी जिसके किनारे तुमने, बैठकर वेद-ए-मुक़द्दस का हर इक मंत्र कहा मैं वही सिन्धु नदी जिसके किनारे तुमने, बैठकर वेद-ए-मुक़द्दस का हर इक मंत्र कहा
मग़र याद रखना मैं आब हूँ बेरंग सा, और रूह बदरूह है तुम्हारी। मग़र याद रखना मैं आब हूँ बेरंग सा, और रूह बदरूह है तुम्हारी।
ये कौन सा बाजार है जहाँ इंसानों की तिजारत होती है। ये कौन सा बाजार है जहाँ इंसानों की तिजारत होती है।
हम ताउम्र राह-ए-जवाब-ए-फ़रियाद, देखा किए...! हम ताउम्र राह-ए-जवाब-ए-फ़रियाद, देखा किए...!
मशहूर है सनम तेरा सितम, बस्ती-ए-चाहत में, पर तेरा ये सितम, कि सितम भी, मुझपर कहाँ हुआ...! मशहूर है सनम तेरा सितम, बस्ती-ए-चाहत में, पर तेरा ये सितम, कि सितम भी, मुझपर कहा...